Wednesday, October 31, 2018

वो 6 वजहें जिनसे RBI और सरकार हैं आमने-सामने

पिछले हफ़्ते दिए एक हैरान करने वाले भाषण में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने चेतावनी दी थी कि यदि हालात ठीक नहीं किए गए तो देश में आर्थिक संकट आ सकता है.

बुधवार को आई ख़बरों के मुताबिक आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफ़ा देने तक का मन बना चुके हैं. हालांकि इन ख़बरों की अधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है.

क्या ये सब अचानक हुआ है या हालात बिगड़ते जा रहे थे. साल 2018 में अर्थव्यवस्था से जुड़े कई घटनाक्रम ऐसे हुए हैं जिनसे मौजूदा हालात की पृष्ठभूमि तैयार हुई है.

एक नज़र ऐसे ही मुद्दों पर जो मौजूदा तनाव की वजह बने.

कहा जा रहा है कि सरकार आरबीआई के ब्याज़ दरों में कटौती न करने से नाख़ुश थी. आरबीआई ने दरें कम करने के बजाय बढ़ा दीं.

भारतीय रिज़र्व बैंक इसे अपना सर्वाधिकार मानता है. इसके बाद सरकार और आरबीआई के बीच अधिकारों को लेकर कई बार तकरार हुई.

डूबा हुआ क़र्ज़ यानी एनपीए
फ़रवरी में आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी कर एनपीए (डूबे हुए क़र्ज़) को परिभाषित किया और क़र्ज़ देने की शर्तें भी फिर से तय कीं.

ये तकरार का एक और कारण बना. सरकार ने आरबीआई के इस रुख़ को बैंकों के प्रति बेहद कड़ा माना. इस सर्कुलर की वजह से दो सरकारी बैंकों को छोड़कर सभी सरकारी बैंक की क़र्ज़ देने की क्षमता सवालों के घेरे में आ गई.

नीरव मोदी 'घोटाला'

जब नीरव मोदी घोटाले से जुड़ी जानकारियां और ख़बरें आईं तो उसी समय सरकार ने आरबीआई की निगरानी से जुड़ी नीतियों पर सवाल उठाए.

इसी समय आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकारी बैंकों पर निगरानी रखने के लिए और अधिक अधिकार मांगे ताकि उन्हें निजी बैंकों को समकक्ष लाया जा सके.

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